Hindi Poem Motivational
Contents
- 1 Hindi Poem Motivational
- 1.1 Motivational poem hindi
- 1.1.1 Inspirational Poems In Hindi : तू ख़ुद की खोज में निकल
- 1.1.2 Motivational Poems In Hindi : बढ़े चलो, बढ़े चलो
- 1.1.3 Motivational Poems In Hindi : वीर
- 1.1.4 Motivational Poems In Hindi : तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है
- 1.1.5 Inspiring Poetry In Hindi : कदम मिलाकर चलना होगा
- 1.1.6 Motivational Poems In Hindi : चल सको तो चलो
- 1.1.7 Motivational Poems In Hindi : नर हो, न निराश करो मन को
- 1.1.8 Motivational Poems In Hindi : चलना हमारा काम है
- 1.1.9 Inspiring Poems In Hindi : रुके न तू, थके न तू
- 1.1.10 Motivational Poem In Hindi : कोशिश कर हल निकलेगा
- 1.1 Motivational poem hindi
Hindi Poem Motivational
Motivational poem hindi
Inspirational Poems In Hindi : तू ख़ुद की खोज में निकल
Tu Khud Ki Khoj Me Nikal
तू ख़ुद की खोज में निकल
तू किसलिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
जो तुझसे लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इनको वस्त्र तू
ये बेड़ियाँ पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
तू ख़ुद की खोज में निकल
तू किसलिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
चरित्र जन पवित्र है
तोह क्यों है ये दशा तेरी
ये पापियों को हक़ नहीं
की लें परीक्षा तेरी
तू ख़ुद की खोज में निकल
तू किसलिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू ख़ुद की खोज में निकल
तू किसलिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकपाएगा
अगर तेरी चूनर गिरी
तोह एक भूकंप आएगा
तू ख़ुद की खोज में निकल
तू किसलिए हताश है
तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
कवि – तनवीर गाज़ी | Tanveer Ghazi
Motivational Poems In Hindi : बढ़े चलो, बढ़े चलो
Badhe Chalo Badhe Chalo
न एक हाथ शस्त्र हो
न हाथ एक अस्त्र हो
न अन्न वीर वस्त्र हो
हटो नहीं, डरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
रहे समक्ष हिम-शिखर
तुम्हारा प्रण उठे निखर
भले ही जाए जन बिखर
रुको नहीं, झुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
घटा घिरी अटूट हो
अधर में कालकूट हो
वही सुधा का घूंट हो
जिये चलो, मरे चलो, बढ़े चलो, बढ़े चलो
गगन उगलता आग हो
छिड़ा मरण का राग हूँ
लहू का अपने फाग हो
अड़ो वहीं, गड़ो वहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
चलो नई मिसाल हो
जलो नई मशाल हो
झुको नहीं, रुको नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
अशेष रक्त तोल दो
स्वतंत्रता का मोल दो
कड़ी युगों की खोल दो
डरो नहीं, मरो नहीं, बढ़े चलो, बढ़े चलो
कवि – सोहनलाल द्विवेदी | Sohanlal Dwivedi
Motivational Poems In Hindi : वीर
Veer
सच है, विपत्ति जब आती है
कायर को ही दहलाती है
सूरमा नहीं विचलित होते
क्षण एक नहीं धीरज खोते
विघ्नों को गले लगाते हैं
कांटों में राह बनाते हैं
मुँह से कभी उफ़ न कहते हैं
संकट का चरण न गहते हैं
जो आ पड़ता सब सहते हैं
उद्योग-निरत नित रहते हैं
शूलों का मूल नसाते हैं
बढ़ ख़ुद विपत्ति पर छाते हैं
है कौन विघ्न ऐसा जग में
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाँव उखड़
मानव जब ज़ोर लगाता है
पत्थर पानी बन जाता है
गुण बड़े एक से एक प्रखर
है छिपे मानवों के भीतर
मेहंदी में जैसे लाली हो
वर्तिका बीच उजियाली हो
बत्ती जो नहीं जलाता है
रोशनी नहीं वह पाता है
कवि – स्व. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | Late Ramdhari Singh Dinkar
Motivational Poems In Hindi : तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है
Tum To Hare Nahin Tumhara Man Kyon Hara Hai
तुम तो हारे नहीं तुम्हारा मन क्यों हारा है?
कहते हैं ये शूल चरण में बिंधकर हम आए
किंतु चुभे अब कैसे जब सब दंशन टूट गए
कहते हैं पाषाण रक्त के धब्बे हैं हम पर
छाले पर धोएं कैसे जब पीछे छूट गए
यात्री का अनुसरण करें
इसका न सहारा है!
तुम्हारा मन क्यों हारा है?
इसने पहिन वसंती चोला कब मधुबन देखा?
लिपटा पग से मेघ न बिजली बन पाई पायल
इसने नहीं निदाघ चाँदनी का जाना अंतर
ठहरी चितवन लक्ष्यबद्ध, गति थी केवल चंचल!
पहुँच गए हो जहाँ विजय ने
तुम्हें पुकारा है!
तुम्हारा मन क्यों हारा है?
कवित्री – स्व. महादेवी वर्मा | Late Mahadevi Verma
Inspiring Poetry In Hindi : कदम मिलाकर चलना होगा
Kadam Milakar Chalna Hoga
बाधाएं आती हैं आएं
घिरे प्रलय की घोर घटाएं
पावों के नीचे अंगारे
सिर पर बरसे यदि ज्वालाएं
निज हाथों से हंसते-हंसते
आग लगाकर जलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
हास्य-रूदन में, तूफानों में
अगर असंख्य बलिदानों में
उद्यानों में, वीरानों में
अपमानों में, सम्मानों में
उन्नत मस्तक, उभरा सीना
पीड़ाओं में पलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
उजियारे में, अंधकार में
कल कछार में, बीच धार में
घोर घृणा में, पूत प्यार में
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में
जीवन के शत-शत आकर्षक
अरमानों को दलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
सम्मुख फैला अमर ध्येय पथ
प्रगति चिरंतन कैसा इति अथ
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ
असफ़ल, सफ़ल समान मनोरथ
सब कुछ देकर कुछ न मांगते
पावस बनकर ढलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
कुछ कांटों से सज्जित जीवन
प्रखर प्यार से वंचित यौवन
नीरवता से मुखरित मधुबन
पर-हित अर्पित अपना तन-मन
जीवन को शत-शत आहुति में
जलना होगा, गलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
कवि – स्व. अटल बिहारी वाजपेयी | Late Atal Bihari Vajpayee
Motivational Poems In Hindi : चल सको तो चलो
Chal Sako To Chalo
सफ़र में धूप तो होगी, जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में, तुम भी निकल सको तो चलो
इधर-उधर कई मंजिल है, चल सको तो चलो
बने बनाये हैं साँचे, जो ढल सको तो चलो
किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को खुद बदल सको तो चलो
यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिराके अगर तुम संभल सको तो चलो
यही है जिंदगी कुछ ख्वाब चंद उम्मीदें
इन्हें खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
हर एक सफ़र को है मह्फूज़ रास्तों की तलाश
हिफाज़तों की रिवायत बदल सको, तो चलो
कहीं नहीं कोई सूरज, धुआँ-धुआँ है फिज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको, तो चलो.
कवि – निदा फ़ाज़ली | Nida fazli
Ho Gai Hai Peer Parvat Si Pighalani Chahiye
![]() |
Add caption |
हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
सारी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए
कवि – दुष्यंत कुमार | Dushyant Kumar
Motivational Poems In Hindi : नर हो, न निराश करो मन को
Nar Ho, Na Nirash Karo Man Ko
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो
जग में रहकर कुछ नाम करो
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो
समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो
कुछ तो उपयुक्त करो तन को
नर हो, न निराश करो मन को.
संभलो कि सुयोग न जाय चला
कब व्यर्थ हुआ सदुपाय भला
समझो जग को न गिरा सपना
पथ आप प्रशस्त करो अपना
अखिलेश्वर है अवलंबन को
नर हो, न निराश करो मन को.
जब प्राप्त तुम्हें सब तत्व यहाँ
फिर जा सकता वह सत्त्व कहाँ
तुम स्वत्त्व सुधा रस पान करो
उठके अमरत्व विधान करो
दवरूप रहो भव कानन को
नर हो, न निराश करो मन को.
निज गौरव का नित ज्ञान रहे
हम भी कुछ हैं यह ध्यान रहे
मरणोत्तर गुंजित गान रहे
सब जाय अभी पर मान रहे
कुछ हो न तजो निज साधन को
नर हो, न निराश करो मन को.
प्रभु ने तुमको कर दान किए
सब वांछित वस्तु विधान किए
तुम प्राप्त करो उनको न अहो
फिर है यह किसका दोष कहो
समझो न अलभ्य किसी धन को
नर हो, न निराश करो मन को.
किस गौरव के तुम योग्य नहीं
कब कौन तुम्हें सुख भोग्य नहीं
जान हो तुम भी जगदीश्वर के
सब है जिसके अपने घर के
फिर दुर्लभ क्या उसके जन को
नर हो, न निराश करो मन को
करके विधि वाद न खेद करो
निज लक्ष्य निरंतर भेद करो
बनता बस उद्यम ही विधि है
मिलती जिससे सुख की निधि है
समझो धिक् निष्क्रिय जीवन को
नर हो, न निराश करो मन को
कुछ काम करो, कुछ काम करो.
कवि – स्व. मैथलीशरण गुप्त | Late Maithili Sharan Gupt
Motivational Poems In Hindi : चलना हमारा काम है
Chalna Hamara Kaam Hai
गति प्रबल पैरों में भरी
फिर क्यों रहूं दर दर खड़ा
जब आज मेरे सामने
है रास्ता इतना पड़ा
जब तक मंजिल न पा सकूं
तब तक मुझे न विराम है
चलना हमारा काम है.
कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया
कुछ बोझ अपना बंट गया
अच्छा हुआ, तुम मिल गई
कुछ रास्ता ही कट गया
क्या राह में परिचय कहूं
राही हमारा नाम है
चलना हमारा काम है.
जीवन अपूर्ण लिए हुए
पाता कभी खोता कभी
आशा निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी
गति-मति न हो अवरूद्ध
इसका ध्यान आठो याम है
चलना हमारा काम है.
इस विषद विश्व-प्रहार में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुःख हमारी ही तरह
किसको नहीं सहना पड़ा
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूं
मुझ पर विधाता वाम है
चलना हमारा काम है.
मैं पूर्णता की खोज में
दर-दर भटकता ही रहा
प्रत्येक पग पर कुछ न कुछ
रोड़ा अटकता ही रहा
निराशा क्यों मुझे?
जीवन इसी का नाम है
चलना हमारा काम है.
साथ में चलते रहे
कुछ बीच ही से फिर गए
गति न जीवन की रुकी
जो गिर गए सो गिर गए
रहे हर दम
उसी की सफ़लता अभिराम है
चलना हमारा काम है.
फ़कत यह जानता
जो मिट गया वह जी गया
मूंदकर पलकें सहज
दो घूंट हँसकर पी गया
सुधा-मिक्ष्रित गरल
वह साकिया का जाम है
चलना हमारा काम है.
कवि –शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ | Shiv Mangal Singh ‘Suman’
Inspiring Poems In Hindi : रुके न तू, थके न तू
Ruke Na Tu, Thake Na Tu

Motivational Poems In Hindi | Inspirational Poems In Hindi
धरा हिला, गगन गुंजा
नदी बहा, पवन चला
विजय तेरी, विजय तेरी
ज्योति सी जल, जला
भुजा-भुजा, फड़क-फड़क
रक्त में धड़क-धड़क
धनुष उठा, प्रहार कर
तू सबसे पहला वार कर
अग्नि सी धधक-धधक
हिरन सी सजग-सजग
सिंह सी दहाड़ कर
शंख सी पुकार कर
रुके न तू, थके न तू
झुके न तू, थमे न तू
सदा चले, थके न तू
रुके न तू, झुके न तू
कवि – स्व. हरिवंश राय बच्चन | Late Harivansh Rai Bachchan
Motivational Poem In Hindi : कोशिश कर हल निकलेगा
Koshish Kar Hal Niklega
-
Motivational Poems In Hindi | Motivational Poems In Hindi
-
कोशिश कर, हल निकलेगा
आज नहीं तो, कल निकलेगा.
अर्जुन के तीर सा सध
मरूस्थल से भी जल निकलेगा.
मेहनत कर, पौधों को पानी दे
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा.
ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे
फ़ौलाद का भी बल निकलेगा
जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को
गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा.
कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की
जो है आज थमा-थमा सा, चल निकलेगा
कवि – आनंद परम | Anand Param